गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

ईद के मेलें में खुद्दारी तलाशता विनय


कल ईद थी वहीं सेवइयों वाली ईद। मैं अपने गांव गया हुआ था। नमाज़ पढ़ कर ईदगाह से बाहर निकले तो सभी बचपन वाले दोस्त मिल कर मेले का मुआयना करने निकल पड़े और सभी को मिली ईदी के अनुपात में ‛तुम ये खिलाओ तुम वो खिलाओ’ वाला दौर शुरू हुआ। ऐसा करते हुए हम सब मेले के अंतिम छोर तक आगये।

यहाँ मुझे विनय दिखा जो सबसे किनारे बैठा मेले को निहार रहा था, शायद वह मेले को नही मेले से आने वाले किसी ग्राहक को देख रहा था। उसके आगे कुछ खरबूजे थे जिसे वह ‛फूट’ बता रहा था। लेकिन ईद के दिन 'फूट’ कौन खरीदता है? सब रंगीन गुब्बारे, खिलौने, चाट फुल्की, चाउमीन, आइस क्रीम, पान आदि में ही व्यस्त थे।

मैं ना जाने क्यों विनय तरफ खिंचता चला गया। वो मेले में आया जरूर था लेकिन मेले का हिस्सा ना बन पाया था। पास जाकर मैंने उससे आहिस्ता से पूछा क्या बेच रहे हो बाबू? वो मुस्कुराते हुए बोला “भैया फुट है, ले लीजिए, खेत से तोड़ के लाएं हैं, ताजा है।” शायद मेरे बाबू कहे जाने पर वह मुस्कुरा रहा था क्योंकि अमूनन ऐसे ‛दुकान’ लगाने वालों से लोग कठोरता से ही बात करते हैं।

मैं उसके सामने घुटने पर बैठ गया और उससे बातें करने लगा। मैंने आगे पूछा “इतना किनारे क्यों दुकान लगाए हो?” उसने कहा “भइया थोड़ा लेट हो गया आने में, उधर सब जगह भर गया तो इधर लगा लिए।” फिर हमने पूछा “कितना बेच दिए सुबह से?” इस सवाल पर विनय थोड़ा उदास हो गया और बोला “अभी तो एक भी नही बिका भइया आप ले लीजिये, बहुत अच्छे हैं फूट आप को सस्ता भी देदूँगा।” शायद उसे लगा था मैं सिर्फ उससे बातें करने ही आया हूँ।

मैंने आगे पूछा पढ़ते हो? वो खुश हो गया, उत्साह से बोला हां 5th में पढ़ता हूँ। चूंकि हिंदी मीडियम से पढ़ने वाले सभी पांच या पांचवी ही बताते हैं ऐसे में विनय का ‛फिफ्थ’ बताना खुद में अनोखा था। मैंने उससे पढ़ाई के बारे में और पूछा तो उसने इंग्लिश में पोएम सुनाया, टेबल सुनाया और गणित के कुछ सूत्र बताये।

आगे उसने बताया कि कैसे उसके पिता मुंबई में कमाते हैं लेकिन पेट भर का नही कमा पाते हैं इसलिए माँ खेतों में सब्ज़ियां उगाती है और बाजार में बेचती है। लेकिन आजकल विनय की छुट्टियाँ चल रहीं हैं, इसलिये वह माँ का हाथ बटाने के मकसद से यहाँ मेले में अपनी दुकान लगाने आया था।

मैंने उसे मेले का आइसक्रीम आफर किया तो मुस्कुरा कर उसने मना कर दिया और फिर बोला भइया फूट ले लीजिये, चाट आइसक्रीम से अच्छा है। मैंने उसे कुछ पैसे दिए और कहा की फूट तो अभी नही चाहिए क्योंकि आज ईद है तुम पैसे रख लो। लेकिन उसने जबरदस्ती एक फूट पकड़ा दिया और बोला भैया ले जाइए खा के देखियेगा।

विनय के खुद्दारी मुझे बहुत पसंद आई। उसी मेले में उसकी उम्र के दुगने तिगुने उम्र के लोग ईद के नाम पर भीख मांग रहे थे और उसी भीख के पैसे से 200-300 जुटा लेने का बाद आराम से चाट फुल्की आइस क्रीम खा रहे थे। लेकिन एक विनय था जो फूट बेचने आया था और वही काम कर रहा था।

समाज मे किसी भिखारी से पहले, वेटर को टिप देने से पहले, ऑनलाइन डोनेशन देने से पहले ऐसे खुद्दार लोगों की मदद करनी चाहिए इससे इनका हौसला बढ़ता है।

गुरुवार, 11 अप्रैल 2024

गुरेज घाटी : जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर का सबसे खूबसूरत हिस्सा

गुरेज वैली कश्मीर में पड़ने वाली खूबसूरत, बेहद शांत और भीड़भाड़ से दूर बसी एक शानदार घाटी है। जो अभी भी आधुनिकता से दूर अपने प्राकृतिक सौंदर्य को अपने में समेटे हुए है। सर्दियों में इस घाटी को श्रीनगर से जोड़ने वाला राजदान पास पूरी तरह से बंद रहता है। 

हालांकि अब बीआरओ पहले से ज्यादा सक्रिय है तो अब ये पास मुश्किल से दिसंबर से मार्च तक ही बंद रहता है। जिसका समय समय पर न्यूज में अपडेट आता रहता है।

यह पूरी घाटी LOC के आसपास बसी हुई है। तो आपके यहां पर अतिरिक्त सुरक्षा जांच से गुजरना होगा और अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। कई जगहों पर फोटोग्राफी की परमिशन नहीं है। हालांकि हमारे सेना के जवान बेहद कोपरेटिव और मिलनसार है तो आपको कहीं भी कोई दिक्कत नहीं होगी। आप यहां पर पहुंच कर बेहद रोमांच का अनुभव करेंगे।




2017 से पहले यह घाटी पर्यटकों के लिए खुली नहीं थी तब सिर्फ यहां के लोकल लोग और सेना से जुड़े लोग ही यहां पर जा सकते थे। 2017 में इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। यही वजह है कि गुरेज घाटी अभी भी भीड़ भाड़ से कोसो दूर है और आपको सीमित सुविधा ही उपलब्ध हो सकेंगी।

कब जाएं?

अगर आपको हरे भरे पहाड़ पसंद हैं तो यहां जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से सितंबर तक का है। उस समय घाटी पूरी तरह से खुली होती है और पहाड़ हरियाली से ढके होते हैं।

आप अक्टूबर में भी जा सकते हैं पतझड़ के मौसम में इस घाटी की अलग ही खूबसूरती होती है।

कैसे जाएं?
यहां जाने के लिए सबसे पहले आपको श्रीनगर पहुंचना होगा। श्रीनगर पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं या तो आप अपने शहर से श्रीनगर की फ्लाइट ले लीजिए और श्रीनगर लैंड करिए। इसका किराया घटता बढ़ता रहता है। आप कब जा रहे हैं और कितने दिनों पहले टिकट बुक कर रहे हैं इस पर तय होता है। 

अगर आपने 1 महीने पहले टिकट बुक कराया है तो दिल्ली से सामान्यतः किराया ₹4000 तक होता है। गोरखपुर से यह किराया ₹8000 तक हो सकता है।

दूसरा तरीका है सड़क और रेल मार्ग

अगले साल तक श्रीनगर तक सीधी रेल सेवा शुरू होने की उम्मीद है लेकिन फिलहाल उधमपुर तक ही डायरेक्ट रेलवे नेक्टिविटी है।

आप रेलवे का टिकट लेकर उधमपुर या जम्मूतवी तक जा सकते हैं। वहां से आपको श्रीनगर की बस, प्राइवेट टैक्सी या फिर शेयर्ड सुमो मिल जाएगी। 

रेलवे का किराया आपके शहर से जम्मू तक का आपको चेक करना होगा। गोरखपुर से स्लीपर क्लास में ₹700- 800 के लगभग किराया होगा। 

जम्मू या उधमपुर से आपको बस या शेयर्ड सुमो या फिर प्राइवेट टैक्सी मिल जाएगी जो आपको श्रीनगर तक पहुंचा देगी। शेयर सुमो लगभग ₹1000 प्रति व्यक्ति, बस लगभग ₹800 प्रति व्यक्ति और प्राइवेट टैक्सी 6-10 हजार प्रति कैब तक चार्ज कर सकती है।



रेल मार्ग द्वारा
अब बताते हैं तीसरे तरीके के बारे में जो सबसे शानदार और किफायती तरीका है। अगर आपका बजट कम है या आप मेरी तरह बैकपैकर्स है तो आप इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

आपको ट्रेन से उधमपुर पहुंचना होगा। उसके बाद आप ₹20 किराया देकर मिनी बस से MH चौक पहुंच जाएं। MH चौक से आपको बनिहाल के लिए बस या शेयर टैक्सी मिल जाएगी। बस का किराया लगभग ₹250 प्रति व्यक्ति हो सकता और शेयर टैक्सी का लगभग ₹300 प्रति व्यक्ति।
 
बनिहाल से शानदार रेलवे सेवा उपलब्ध है जो खूबसूरत नजारों के बीच से होते हुए ₹45 प्रति व्यक्ति किराया में आपको श्रीनगर पहुंचा देगी। बनिहाल से श्रीनगर के लिए पहली ट्रेन 7:15AM पर तो आखिरी ट्रेन 4:50PM पर है।

पहले दिन आपको श्रीनगर में ही रुकना चाहिए। अगर आपके पास समय है तो कुछ गार्डन घूम लीजिए। श्रीनगर में कई खूबसूरत गार्डन है जैसे मुगल गार्डन, चश्मे शाही आदि। शाम को आप डल लेक और लाल चौक घूम सकते हैं। 

गुरेज जाने के लिए अगले दिन सुबह ही निकलना चाहिए। अगर आप प्राइवेट टैक्सी हायर करना चाहते हैं फिर तो कोई बात नहीं है वह आपके होटल या होम स्टे से ही आपको पिक कर लेंगे। इसका किराया ₹4000 से ₹5000 रुपए प्रतिदिन हो सकता है। यह गाड़ी के साइज और सीजन पर डिपेंड करता है।

लेकिन अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाना चाहते हैं तो आपको लाल चौक या पंपोर से बांदीपोरा की टैक्सी या बस मिल जाएगी जो आपको ₹100-₹150 रुपए तक चार्ज कर सकती है।

ध्यान रहे आपको किसी भी हाल में दोपहर तक बांदीपोरा पहुंच जाना है। बांदीपुर से आपको गुरेज के दावर कस्बे के लिए शेयर्ड टैक्सी मिल जायेगी जो आपको ₹350 से ₹400 प्रति व्यक्ति में गुरेज के सबसे बड़े टाउन दावर पहुंचा देगी। यहां पहुंचने में 4- 5 घंटे लगते हैं।

बांदीपोरा से दावर तक के रास्ते बेहद मनमोहक हैं। यह रास्ता खूबसूरत राजदान पास से होकर जाता है और अगर आपकी किस्मत सही रही और आसमान खुला रहा तो आपके यहां से नंगा पर्वत दिखाई दे सकता है।

गुरेज में कहां रूके

गुरेज में रुकने के लिए कई ऑप्शन हैं। जिसमे होटल, होम स्टे और किशनगंगा नदी किनारे कैंपिंग शामिल है।

होटल आपको ₹2000 से ₹3000 प्रति कमरे, होमस्टे ₹1000 से ₹1500 प्रति कमरे और कैंप साइट में टेंट 1500 प्रति टेंट पड़ सकता है। यह सीजन के अनुसार थोड़ा ऊपर नीचे हो सकते हैं। एक कमरे में तीन लोग आसानी से रह सकते हैं। एक रूम में चार लोग रुकते हैं तो उसके लिए कुछ पैसे एक्स्ट्रा खर्चने होंगे।

कैसे घूमें?

अगर आप प्राइवेट टैक्सी से गए हैं तो आपको कोई समस्या नहीं होगी आपको प्राइवेट टैक्सी दो दिन में बड़े आराम से पूरा गुरेज घुमा देगी। 

अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से घूमना चाहते हैं तो फिलहाल यह संभव नहीं है क्योंकि उधर बहुत कम आबादी है और दिन भर में बहुत कम गाड़ियां ही आपको देखने को मिलेंगी। आपको वहां पर जाकर प्राइवेट टैक्सी ही करनी पड़ेगी। जिसका चार्ज 3500 से 4000 प्रति दिन हो सकता है।

घूमने के लिए 2 दिन पर्याप्त है। इसमें आप काबुल गली जो की एक छोर का आखिरी हिस्सा है वही बगतोर गांव जो दूसरे छोर का आखिरी हिस्सा है, वहां जा सकते हैं। हब्बा खातून पीक और चश्मा आप जा सकते हैं।
 बाकी पूरी घाटी ही खूबसूरत है कहीं घूमिए।

क्या खाएं?

अगर आप वेजिटेरियन हैं तो यहां पर आपको बहुत ही काम ऑप्शन मिलेंगे। आपको दाल चावल और सलाद मिल जाएगा। कुछ होटल में अब सब्जियां भी मिलने लगी है।

नॉनवेज खाने वालों के लिए यहां कुछ बेहतर ऑप्शन मिल सकते हैं जैसे फिश, चिकन और मटन।

खास बातें - 

पूरे कश्मीर में आप सिर्फ पोस्टपेड सिम ही इस्तेमाल कर सकते हैं। गुरेज में जियो का नेटवर्क बेहतर है। अगर आपके पास पोस्टपेड सिम नहीं है तो आप वहां आधार दिखाकर ले सकते हैं जो 1 से 2 घंटे में एक्टिवेट हो जाता है।

आप किसी भी मौसम में जाएं तो गर्म कपड़े और रेनकोट जरूर लेकर जाएं। आधार कार्ड हमेशा अपने साथ कैरी करें ये अनिवार्य है। कुछ जरूरी दवाइयां साथ रखें। 

सुरक्षा से संबंधित कश्मीर में आपको कोई दिक्कत नहीं होगी। बस आप नियम का पालन करें। सुरक्षा नियमों का पालन करें आपको इस ट्रिप में बहुत मजा आएगा।

रविवार, 7 अप्रैल 2024

Intro: कश्मीर का सपना पूरा हुआ, कुछ इस तरह हुई तैयारी

घुमक्कड़ लोगों के लिए कोरोना किसी अभिशाप से कम नहीं था। कोविड काल के लंबे समय बाद तक घूमने या यूं कहिए स्वतंत्र रूप से घूमने पर कई पाबंदियां लगी हुई थी। 2022 आते-आते धीरे-धीरे सभी पाबंदियां खत्म होने लगी। उसके बाद हमने भी अपने घुमक्कड़ स्वभाव को दिए गए विराम को वापस लिया और पहाड़ पर जाने का निर्णय लिया। हमारे सामने दो विकल्प थे या तो हम नॉर्थईस्ट जाएं या फिर कश्मीर की तरफ रुख करें। 

चूंकि शुरू से ही मैं ऑफबीट डेस्टिनेशन को पसंद करता आया हूं इसलिए दोनों जगहों के बारे में रिसर्च शुरू की। नार्थ ईस्ट में नागालैंड और मणिपुर के बॉर्डर पर स्थित ज़ुकू वैली और कश्मीर की गुरेज वैली को शॉर्टलिस्ट किया गया।

कश्मीर की गुरेज घाटी

नागालैंड की जुकू वैली

इन दोनों डेस्टिनेशन के फाइनल हो जाने के बाद अब मैंने साथियों की तलाश शुरू की जिनके साथ यात्रा की जा सके। मुझे अकेले ट्रैवल करना पसंद नहीं है। हालांकि कई लोग सोलो ट्रैवलिंग की बात करते हैं लेकिन आज तक मुझे सोलो ट्रैवलिंग का कांसेप्ट समझ में नहीं आया। 

मेरा मानना है कि आप दुख में या खुशी में अपने आसपास लोगों को देखना चाहते हैं ठीक उसी तरह यात्रा में भी आप अपने आसपास अपनी फेवरेट लोगों को देखना ही चाहते हैं।

कई लोगों के प्लान में शामिल होने और एग्जिट करने के बाद आखिरकार हम 4 साथी तैयार हुए। हालंकि इस बीच अनेक लोग इस प्लान में शामिल हुए और सार्वभौमिक नियम की तरह अंत समय में प्लान कैंसिल कर गए।

अब क्योंकि यात्रा सिर्फ अपने पसंद से नहीं की जाती है इसलिए साथियों के पसंद को भी प्रेफरेंस दिया गया और अंत में कश्मीर के गुरेज घाटी को फाइनल किया गया। 4 साथी जिनमें सबसे पहला मेरा हमेशा से ट्रेवल का साथ ही रहा मेरा कजिन सैफ, उसका ही दोस्त शुभम और एक मेरे बचपन का दोस्त विकास जिसे हम सभी प्रेसिडेंट कहकर ही बुलाते हैं। हम चार लोगों की टोली तैयार हुई। 

तस्वीर मैं आप हम चारों साथियों को देख सकते हैं। बाएं से क्रमशः विकास, उसके बाद शुभम, उसके बगल में लाल टोपी पहने सैफ और आखिर में मैं यानी वलीउल्लाह।

जाने का समय हमने जुलाई में रखा था। मुझे मानसून में पहाड़ों पर जाने का शौक है। इस वक्त पहाड़ पर आपको चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखने को मिलती है जो आपको पहाड़ के सबसे खूबसूरत रूप को दिखाती है।

हालांकि मानसून के समय में पहाड़ों पर जाने के अपने नुकसान भी हैं, सबसे ज्यादा लैंडस्लाइड का खतरा होता है लेकिन फिर भी मुझे हरे-भरे पहाड़ ज्यादा आकर्षित करते हैं बारिश के बाद पूरी पहाड़ी हरी-भरी हो जाती है। 

हालांकि अगस्त में भी जाया जा सकता है लेकिन कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस के आसपास काफी ज्यादा सिक्योरिटी सख्त होती है कई तरह के मूवमेंट पर रोक होती है इसलिए मैंने जुलाई में ही इस यात्रा को तय किया।

यात्रा गोरखपुर से शुरू हुई और गोरखपुर ही खत्म होने वाली थी। 22 जुलाई की रात में हमें गोरखपुर से निकलना था और 1 अगस्त को हमें वापस गोरखपुर पहुंच जाना था। 

शुरू से ही हमने तय किया था कि यात्रा को बिल्कुल बंजारों की तरह करेंगे और लोकल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हुए लोकल लोगों की तरह यात्राएं करेंगे, लोकल यानी स्थानीय जायके का स्वाद चखेंगे। यानी यात्रा एकदम देसी स्टाइल में बजट यात्रा होने वाली थी।

पहले एक बार में आप लोगों को रूट बताना चाहता हूं जिससे कि आप समझ सके कि हमने यात्रा का प्लान किस तरह से किया था।

गोरखपुर > दिल्ली> उधमपुर> बनिहाल> श्रीनगर> गुरेज घाटी> तुलैल घाटी> श्रीनगर> जम्मू> गोरखपुर

हम लोगों को ज्यादातर यात्राएं ट्रेन से करनी थी। जो लोग कश्मीर गए हुए हैं उनको पता होगा लेकिन शायद बाकी लोगों के लिए या नई बात हो सकती है कि श्रीनगर तक ट्रेन चलती है। हालांकि बीच में उधमपुर से बनिहाल तक का रेलवे ट्रैक अभी कंप्लीट नहीं हुआ है इसलिए 93 किलोमीटर की यह यात्रा आपको छोटे बसों में या फिर टाटा सुमो से करनी होती है।

इस बीच हमें दिल्ली में ट्रेन चेंज करते हुए जाना पड़ा क्योंकि गोरखपुर से उधमपुर की डायरेक्ट ट्रेन सिर्फ एक थी और वह भी सुबह पहुंचाने की वजह शाम को उधमपुर पहुंचाती थी। 

शाम को उधमपुर पहुंचने का नुकसान यह था कि आप आगे की यात्रा रात में नहीं कर सकते हैं। आपको फिर उधमपुर में रुकना ही पड़ेगा। इसलिए हमने दिल्ली से उधमपुर की ट्रेन ली जिसने हमें सुबह-सुबह उधमपुर पहुंचा दिया और उसी दिन हम वहां से बनिहाल और फिर श्रीनगर की यात्रा कर सकें।

आगे के अंक में आप पढ़ेंगे कि किस तरह से हमारी यात्रा शुरू हुई और हम ने कश्मीर को किस तरह से दिखा।

क्रमशः